ग्राफ्टिंग क्या है और इसके प्रकार

संक्षेप में, ग्राफ्टिंग पौधों की मूल किस्म सुनिश्चित करने और कम समय में उत्पादन लेने की एक प्रक्रिया है। जिसमे दो या आधिक पौधों के ऊतकों को आपस मे जोड़ा जाता है ताकि उनकी वृद्धि एक साथ जारी रहे। संयुक्त पौधे के ऊपरी हिस्से को स्कोन(scion) कहा जाता है जबकि निचले हिस्से को रूटस्टॉक(rootstock) कहा जाता है। इस जुड़ाव की सफलता के लिए इनोसक्यूलेशन(प्लास्टिक टेप) आवश्यक है। जहां रूटस्टॉक स्वस्थ स्थानीय पौधे की जड़ टहनी होती है और जो बीमारियों से लड़ने में सक्षम है। स्कोन उच्च गुणवत्ता और वांछित गुण वाले पौधे की टहनी होती है। 

लकड़ी का तना मुख्य तीन परतों की छाल, कैम्बियम, ठोस लकड़ी या हर्टवुड द्वारा बनी होती है जहाँ कैम्बियम परत ग्राफ्टिंग में मुख्य भूमिका निभाती है। 

Grafting
Grafting

कैंबियम सेल परत तने का बढ़ता हुआ हिस्सा है। यह हार्मोन के द्वारा सालाना नई छाल और नई लकड़ी का उत्पादन करता है जो पत्तियों से भोजन के साथ फ्लोएम से गुजरता है। ये हार्मोन, जिन्हें "ऑक्सिन" कहा जाता है, कोशिकाओं में वृद्धि को प्रोत्साहित करते हैं। 

ग्राफ्टिंग प्रक्रिया का उपयोग करने के कारण:- 

  • अधिकांश समय पौधे बीज द्वारा ही उगाए जाते हैं जिसमे यह आंकना कठिन है कि बीज शुद्ध गुणवत्ता का है या नहीं, यह पौधे के उगाए जाने या फल उत्पादन के बाद ही पता चलेगा। जो पौधे में वांछित गुण नहीं होने पर समय बर्बाद करेगा। 
  • बीज से फलदार पौधा प्राप्त करने या विकसित होने में समय लगता है जो कि महंगा होता है। जिसके लिये एक परिपक्व पौधे की शाखा से ग्राफ्टिंग कि जाती है जो पौधे को फल पैदा करने के लिए बौना कर देता है। 
  • कभी-कभी किसी पौधे का बीज पेड़ नहीं बन पाता। जैसे मैकिन्टोश सेब। 
  • एक पौधे में फल या फूलों की कई शाखाएँ उत्पन्न करना। 
  • कीट और रोग प्रतिरोध में सुधार के लिए ग्राफ्टिंग का उपयोग किया जाता है ।

ग्राफ्टिंग के प्रकार :- 

विभिन्न प्रकार के ग्राफ्टिंग किए जाते हैं जिन्हें रूटस्टॉक और स्कोन संगतता के अनुसार बदला जा सकता है। स्कोन और रूटस्टॉक को जोड़ने के अनुसार, ग्राफ्टिंग हैं:- 

ग्राफ्टिंग के प्रकार
ग्राफ्टिंग के प्रकार

A) Approach ग्राफ्टिंग: इस ग्राफ्टिंग में जीवित पौधे को पूरी तरह से अलग किए बिना स्कोन और रूटस्टॉक को जोड़ा जाता है। पौधों को आधे चौड़े तने से हटा दिया जाता है और प्लास्टिक टेप के साथ रखा जाता है। यह तकनीक बिना परिपक्वता खोए परिपक्व पौधों के बीच की जाती है। कुछ समय बाद पौधे आपस में जुड़ जाते हैं फिर वांछित पौधे के स्कोन और रूटस्टॉक को जीवित पौधे से अलग कर दिया जाता है। 

B) टी ग्राफ्टिंग: यह ग्राफ्टिंग अधिक ग्राफ्टेड पौधों का उत्पादन करने के लिए जानी जाती है लेकिन इस तकनीक के लिए अधिक कुशल विशेषज्ञ की आवश्यकता होती है। पौधे की कली का उपयोग स्कोन के रूप में और जीवित पौधे तने को रूटस्टॉक के रूप में उपयोग किया जाता है जहां स्कोन पौधे की नई शाखा बनाता है जो कि विभिन्न गुणों वाला पौधा होता है। यह फूलों के पौधों में सबसे लोकप्रिय है।

C) V ग्राफ्टिंग: यह दो पौधों मे ग्राफ्टिंग की सामान्य तकनीक है जहां स्कोन और रूटस्टॉक के लिए समान चौड़ाई के तने का चयन किया जाता है। स्कोन को v आकार में काटा जाता है और रूटस्टॉक टॉप के बीच डाला जाता है और प्लास्टिक टेप से लपेटा जाता है। 

D) टंग ग्राफ्टिंग: यह तकनीक स्कोन और रूटस्टॉक के बीच अधिक कैम्बियम लेयर कनेक्शन बनाती है और स्कोन और रूटस्टॉक के बीच उचित आधार प्रदान करती है।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

Close Menu